हे पुत्र, अच्छा हो कि तुम तपस्या में स्थित होओ जो समस्त जीवों के लिए कल्याणप्रद है और जो तुम्हें सारे वर दिला सकती है। केवल तपस्या द्वारा तुम पूर्ववत् ब्रह्माण्ड की रचना कर सकते हो।
तात्पर्य
विराट जगत की उत्पत्ति, पालन तथा संहार के लिए क्रमश: तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश्वर अथवा शिव उत्तरदायी हैं। रुद्र को यह सलाह दी गई कि सृजन तथा पालन की अवधि में वे विनाश न करें, अपितु तपस्या करने बैठ जाँय तथा प्रलय (संहार) की प्रतीक्षा करें, जब उनकी सेवाओं का उपयोग किया जायेगा।
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