तब उन्होंने अपने सारे मुखों से पाँचवें वेद—पुराणों तथा इतिहासों—की सृष्टि की, क्योंकि वे सम्पूर्ण भूत, वर्तमान तथा भविष्य को देख सकते थे।
तात्पर्य
विशिष्ट देशों तथा राष्ट्रों के और इसी के साथ संसार के अपने इतिहास हैं, किन्तु पुराण सारे ब्रह्माण्ड के, न केवल एक कल्प के अपितु अनेक कल्पों के, इतिहास हैं। ब्रह्मा को इन ऐतिहासिक तथ्यों का ज्ञान है, अतएव सभी पुराण इतिहास हैं। चूँकि उनकी मूल रचना ब्रह्मा द्वारा की गई, अतएव वे वेदों के अंग रूप हैं और पंचम वेद कहलाते हैं।
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