ब्रह्मा दिव्य ध्वनि के रूप में भगवान् के साकार स्वरूप हैं, अतएव वे व्यक्त तथा अव्यक्त की धारणा से परे हैं। ब्रह्मा परम सत्य के पूर्ण रूप हैं और नानाविध शक्तियों से समन्वित हैं।
तात्पर्य
ब्रह्मा का पद ब्रह्माण्ड भर में सबसे अधिक उत्तरदायित्वपूर्ण पद है। यह ब्रह्माण्ड के सर्वाधिक पूर्ण व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। जब इस पद को ग्रहण करने के लिए उपयुक्त जीव नहीं मिलता तो भगवान् को स्वयं ब्रह्मा बनना पड़ता है। भौतिक जगत में ब्रह्मा भगवान् का पूर्ण प्रतिनिधित्व करते हैं और प्रणव अर्थात् दिव्य ध्वनि उन्हीं से आती है। इसीलिए वे विविध शक्तियों से समन्वित रहते हैं जिनसे ही इन्द्र, चन्द्र तथा वरुण जैसे सारे देवता प्रकट होते हैं। उनके दिव्य महत्त्व को कम नहीं आँका जाना चाहिए, यद्यपि उन्होंने अपनी ही पुत्री के साथ रमण करने की प्रवृत्ति प्रदर्शित की थी। ब्रह्मा द्वारा ऐसी प्रवृत्ति के प्रदर्शन का एक अभिप्राय है और उन्हें सामान्य जीव की तरह गर्हित या निन्दनीय नहीं मानना चाहिए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.