श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
भागवतम
भगवद गीता
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि
»
श्लोक 53
श्लोक
ताभ्यां रूपविभागाभ्यां मिथुनं समपद्यत ॥ ५३ ॥
शब्दार्थ
ताभ्याम्—उनके; रूप—रूप; विभागाभ्याम्—इस तरह विभक्त होकर; मिथुनम्—यौन सम्बन्ध; समपद्यत—ठीक से सम्पन्न किया ।.
अनुवाद
play_arrowpause
ये दोनों पृथक् हुए शरीर यौन सम्बन्ध में एक दूसरे से संयुक्त हो गये।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भागवतम
श्रीमद् भगवद्गीता
योगदान
Download
संपर्क
Connect
About Us
|
Terms & Conditions
Privacy Policy
|
Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥