श्रीमद् भागवतम
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श्लोक 55
श्लोक
तदा मिथुनधर्मेण प्रजा ह्येधाम्बभूविरे ॥ ५५ ॥
शब्दार्थ
तदा—उस समय; मिथुन—यौन जीवन; धर्मेण—विधि-विधानों के अनुसार; प्रजा:—सन्तानें; हि—निश्चय ही; एधाम्—बढ़ी हुई; बभूविरे—घटित हुई ।.
अनुवाद
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तत्पश्चात् उन्होंने सम्भोग द्वारा क्रमश: एक एक करके जनसंख्या की पीढिय़ों में वृद्धि की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥