श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 12: कुमारों तथा अन्यों की सृष्टि  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.12.8 
स वै रुरोद देवानां पूर्वजो भगवान् भव: ।
नामानि कुरु मे धात: स्थानानि च जगद्गुरो ॥ ८ ॥
 
शब्दार्थ
स:—वह; वै—निश्चय ही; रुरोद—जोर से चिल्लाया; देवानाम् पूर्वज:—समस्त देवताओं में ज्येष्ठतम; भगवान्—अत्यन्त शक्तिशाली; भव:—शिवजी; नामानि—विभिन्न नाम; कुरु—नाम रखो; मे—मेरा; धात:—हे भाग्य विधाता; स्थानानि—स्थान; च—भी; जगत्-गुरो—हे ब्रह्माण्ड के शिक्षक ।.
 
अनुवाद
 
 जन्म के बाद वह चिल्लाने लगा : हे भाग्यविधाता, हे जगद्गुरु, कृपा करके मेरा नाम तथा स्थान बतलाइये।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥