|
|
|
श्लोक 3.12.8  |
स वै रुरोद देवानां पूर्वजो भगवान् भव: ।
नामानि कुरु मे धात: स्थानानि च जगद्गुरो ॥ ८ ॥ |
|
शब्दार्थ |
स:—वह; वै—निश्चय ही; रुरोद—जोर से चिल्लाया; देवानाम् पूर्वज:—समस्त देवताओं में ज्येष्ठतम; भगवान्—अत्यन्त शक्तिशाली; भव:—शिवजी; नामानि—विभिन्न नाम; कुरु—नाम रखो; मे—मेरा; धात:—हे भाग्य विधाता; स्थानानि—स्थान; च—भी; जगत्-गुरो—हे ब्रह्माण्ड के शिक्षक ।. |
|
अनुवाद |
|
जन्म के बाद वह चिल्लाने लगा : हे भाग्यविधाता, हे जगद्गुरु, कृपा करके मेरा नाम तथा स्थान बतलाइये। |
|
|
|
शेयर करें
 |