ब्रह्मा ने सोचा : जब मैं सृजन कार्य में लगा हुआ था, तो पृथ्वी बाढ़ से आप्लावित हो गई और समुद्र के गर्त में चली गई। हम लोग जो सृजन के इस कार्य में लगे हैं भला कर ही क्या सकते हैं? सर्वोत्तम यही होगा कि सर्वशक्तिमान हमारा निर्देशन करें।
तात्पर्य
कभी-कभी भगवद्भक्त जो कि विश्वसनीय सेवक होते हैं अपना अपना कर्तव्य निभाते समय विमूढ़ हो जाते हैं, किन्तु वे हतोत्साहित कभी नहीं होते। उन्हें भगवान् में पूर्ण श्रद्धा होती है और भगवान् भक्तों के कर्तव्य पालन की उन्नति के मार्ग को सुगम बनाते हैं।
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