जब ब्रह्माजी अपने पुत्रों के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे तो पुरुषोत्तम भगवान् विष्णु ने विशाल पर्वत के समान गम्भीर गर्जना की।
तात्पर्य
ऐसा प्रतीत होता है कि विशाल पर्वतों में भी उनकी गर्जना शक्ति होती है, क्योंकि वे भी जीव हैं। ध्वनि गर्जन की गहनता भौतिक शरीर के आकार के अनुपात में होती है। अभी ब्रह्माजी भगवान् के शूकर अवतार के प्रकट होने के विषय में अनुमान लगा ही रहे थे कि भगवान् ने अपनी गम्भीर वाणी द्वारा गर्जना करके ब्रह्मा के अनुमान की पुष्टि कर दी।
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