तमाल—नीला वृक्ष जिसका नाम तमाल है; नीलम्—नीले रंग का; सित—श्वेत; दन्त—दाँत; कोट्या—टेढ़ी कोर वाला; क्ष्माम्—पृथ्वी; उत्क्षिपन्तम्—लटकाये हुए; गज-लीलया—हाथी की तरह क्रीड़ा करता; अङ्ग—हे विदुर; प्रज्ञाय—इसे जान लेने पर; बद्ध—जोड़े हुए; अञ्जलय:—हाथ; अनुवाकै:—वैदिक मंत्रों से; विरिञ्चि—ब्रह्मा; मुख्या:—इत्यादि; उपतस्थु:—स्तुति की; ईशम्—भगवान् के प्रति ।.
अनुवाद
तब हाथी की तरह क्रीड़ा करते हुए भगवान् ने पृथ्वी को अपने सफेद टेढ़े दाँतों के किनारे पर अटका लिया। उनके शरीर का वर्ण तमाल वृक्ष जैसा नीलाभ हो गया और तब ब्रह्मा इत्यादि ऋषि उन्हें पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् समझ सके और उन्होंने सादर नमस्कार किया।
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