आप सारे जीवों के पिता तथा उनकी जीविका के स्रोत हैं, क्योंकि वे सभी आपसे उत्पन्न हुए हैं। कृपा करके हमें आदेश दें कि हम आपकी सेवा किस तरह कर सकते हैं।
तात्पर्य
पुत्र का कर्तव्य है कि वह अपने पिता को केवल अपनी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन के रूप में इस्तेमाल न करे, अपितु जब वह बड़ा हो जाय तो वह उसकी सेवा भी करे। यही ब्रह्मा के समय से सृष्टि का नियम चला आ रहा है। पिता का कर्तव्य है कि जब तक पुत्र बड़ा न हो जाय उसका पालनपोषण करे और जब पुत्र बड़ा हो जाय तो पुत्र का कर्तव्य है कि वह पिता की सेवा करे।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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