अतएव आपको मुझ पर पूर्ण दया दिखाते हुए मेरे प्रति कृपालु होना चाहिए। मुझे पुत्र प्राप्त करने की चाह है और मैं अपनी सौतों का ऐश्वर्य देखकर अत्यधिक व्यथित हूँ। इस कृत्य को करने से आप सुखी हो सकेंगे।
तात्पर्य
भगवद्गीता में सन्तानोत्पत्ति के लिए संभोग को धर्मोचित बताया गया है। किन्तु केवल इन्दियतृप्ति के लिए कामोन्मुख होना उचित नहीं है। संभोग के लिए अपने पति से दिति की याचना में ऐसा कुछ नहीं था कि वह कामेच्छा से पीडि़त थी, अपितु वह पुत्र चाहती थी। चूँकि उसके कोई पुत्र न था इसलिए वह स्वयं को अपनी सौतों की अपेक्षा हेय समझ रही थी। अत: कश्यप से अपेक्षा की जाती थी कि वे अपनी प्रामाणिक पत्नी को तुष्ट करें।
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