बहुत काल पूर्व अत्यन्त ऐश्वर्यवान हमारे पिता दक्ष ने, जो अपनी पुत्रियों के प्रति अत्यन्त वत्सल थे, हममें से हर एक को अलग अलग से पूछा कि तुम किसे अपने पति के रूप में चुनना चाहोगी।
तात्पर्य
इस श्लोक से प्रतीत होता है कि पिता द्वारा पति के स्वतंत्र चुनाव की तो अनुमति पुत्री को दी जाती थी, किन्तु स्वच्छन्द संगति के द्वारा नहीं। पुत्रियों को अलग अलग से कहा गया कि वे ऐसे पति का चुनाव करें जो अपने कार्यों तथा व्यक्तित्व के लिए विख्यात हो। अन्तिम चुनाव पिता की रुचि पर निर्भर करता था।
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