श्रीमद् भागवतम
 
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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.14.23 
एषा घोरतमा वेला घोराणां घोरदर्शना ।
चरन्ति यस्यां भूतानि भूतेशानुचराणि ह ॥ २३ ॥
 
शब्दार्थ
एषा—यह समय; घोर-तमा—सर्वाधिक भयावनी; वेला—घड़ी; घोराणाम्—भयावने का; घोर-दर्शना—भयावनी लगनेवाली; चरन्ति—विचरण करते हैं; यस्याम्—जिसमें; भूतानि—भूत-प्रेत; भूत-ईश—भूतों के स्वामी; अनुचराणि—नित्यसंगी; ह— निस्सन्देह ।.
 
अनुवाद
 
 यह विशिष्ट वेला अतीव अशुभ है, क्योंकि इस वेला में भयावने दिखने वाले भूत तथा भूतों के स्वामी के नित्य संगी दृष्टिगोचर होते हैं।
 
तात्पर्य
 कश्यप अपनी पत्नी दिति से पहले ही क्षण भर के लिए प्रतीक्षा करने के लिए कह चुके थे और अब वे उसे आगाह करते हैं कि यदि इस विशेष वेला पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस वेला में अपने स्वामी रुद्र के साथ इधर-उधर विचरण करने वाले भूत-प्रेत अवश्य दण्ड देंगे।
 
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥