श्रीमद् भागवतम
हिंदी में पढ़े और सुनें
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् भगवद गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण - लीला पुरुषोत्तम भगवान
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संसाधन
AudioBooks
संस्कृत शब्द कोष
वैष्णव कैलेंडर / पंचांग
Download
संपर्क
भागवत पुराण
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण
»
श्लोक 3
श्लोक
3.14.3
तस्य चोद्धरत: क्षौणीं स्वदंष्ट्राग्रेण लीलया ।
दैत्यराजस्य च ब्रह्मन् कस्माद्धेतोरभून्मृध: ॥ ३ ॥
शब्दार्थ
तस्य
—उसका;
च
—भी;
उद्धरत:
—उठाते हुए;
क्षौणीम्
—पृथ्वी लोक को;
स्व-दंष्ट्र-अग्रेण
—अपनी दाढ़ के सिरे से;
लीलया
—अपनी लीला में;
दैत्य-राजस्य
—दैत्यों के राजा का;
च
—तथा;
ब्रह्मन्
—हे ब्राह्मण;
कस्मात्
—किस;
हेतो:
—कारण से;
अभूत्
—हुआ;
मृध:
—युद्ध ।.
अनुवाद
play_arrowpause
हे ब्राह्मण, जब भगवान् अपनी लीला के रूप में पृथ्वी ऊपर उठा रहे थे, तब उस असुरराज तथा भगवान् वराह के बीच, युद्ध का क्या कारण था?
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
श्रीमद् भगवद्गीता
श्रीमद् भागवतम
श्रीचैतन्य चरितामृत
श्रीकृष्ण लीला
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
वैष्णव भजन
संस्कृत शब्द कोष
AudioBook
About
वैष्णव कैलेंडरपंचांग
Download
Connect
संपर्क
> हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥