ऋषियों ने कहा : हे भगवन्, हम यह नहीं जान पा रहे कि आप हमारे लिए क्या करना चाहते हैं, क्योंकि आप सबों के परम शासक होते हुए भी हमारे पक्ष में बोल रहे हैं मानो हमने आपके साथ कोई अच्छाई की हो।
तात्पर्य
मुनिगण यह जान गये कि पुरुषोत्तम भगवान्, जो सबों के ऊपर हैं, इस तरह बोल रहे हैं, मानो उनसे कोई गलती हो गई हो। अतएव उनके लिए भगवान् के शब्दों को समझ पाना कठिन हो रहा था। किन्तु वे यह समझ गये कि भगवान् ऐसे विनीत स्वर में इसलिए बोल रहे हैं जिससे वे अपना सर्व-दयामय अनुग्रह उन्हें दिखा सकें।
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