ब्रह्माजी ने कहा : वैकुण्ठ के स्वामी पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् को आत्मज्योतित वैकुण्ठलोक में देखने के बाद मुनियों ने वह दिव्य धाम छोड़ दिया।
तात्पर्य
जैसाकि भगवद्गीता में कहा गया है और इस श्लोक में पुष्टि की गई है, भगवान् का दिव्य धाम स्वयं प्रकाशमान है। भगवद्गीता में कहा गया है कि आध्यात्मिक जगत में सूर्य, चन्द्रमा या बिजली की आवश्यकता नहीं पड़ती। यह कथन सूचित करता है कि सारे लोक स्वत:प्रकाशित, आत्मनिर्भर तथा स्वतंत्र हैं। वहाँ पर प्रत्येक वस्तु पूर्ण होती है। भगवान् कृष्ण कहते हैं कि जो एक बार वैकुण्ठलोक चला जाता है, वह कभी नहीं लौटता। वैकुण्ठलोक के निवासी भौतिक जगत में कभी वापस नहीं आते, किन्तु जय तथा विजय की घटना भिन्न प्रकार की थी। वे कुछ काल के लिए भौतिक जगत में आये और तब वैकुण्ठलोक में लौट गये।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.