एतत्—यह प्रस्थान; पुरा—प्राचीन काल में; एव—निश्चय ही; निर्दिष्टम्—पहले से बतलाया गया; रमया—लक्ष्मी द्वारा; क्रुद्धया—क्रुद्ध; यदा—जब; पुरा—पहले; अपवारिता—रोकी गई; द्वारि—द्वार पर; विशन्ती—प्रवेश करते; मयि—जब मैं; उपारते—विश्राम कर रहा था ।.
अनुवाद
वैकुण्ठ से यह प्रस्थान लक्ष्मीजी ने पहले ही बतला दिया था। वे क्रुद्ध थीं, क्योंकि जब उन्होंने मेरा धाम छोड़ा और वे फिर लौटीं तो तुमने उन्हें द्वार पर रोक लिया जब कि मैं सो रहा था।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥