मेरे लिए ब्राह्मण सर्वोच्च तथा सर्वाधिक प्रिय व्यक्ति है। मेरे सेवकों द्वारा दिखाया गया अनादर वास्तव में मेरे द्वारा प्रदर्शित हुआ है, क्योंकि वे द्वारपाल मेरे सेवक हैं। इसे मैं अपने द्वारा किया गया अपराध मानता हूँ, इसलिए मैं घटी हुई इस घटना के लिए आपसे क्षमा चाहता हूँ।
तात्पर्य
भगवान् सदैव ब्राह्मणों तथा गौवों का पक्ष लेते हैं, इसीलिए गोब्राह्मण हिताय च कहा गया है। पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् कृष्ण या विष्णु ब्राह्मणों के पूज्य देव भी हैं। वैदिक वाङ्मय में, ऋग्वेद के ऋग्मंत्र में कहा गया है कि जो वास्तव में ब्राह्मण हैं, वे सदैव विष्णु के चरणकमलों की ओर ताकते हैं—ऊँ तद् विष्णो: परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरय:। जो लोग योग्य ब्राह्मण हैं, वे भगवान् के विष्णु रूप की ही पूजा करते हैं जिसका अर्थ कृष्ण, राम तथा विष्णु के समस्त अंश हैं। तथाकथित ब्राह्मण जो ब्राह्मण कुल में जन्म लेता है, किन्तु वैष्णवों के विपरित कार्य करता है उसे ब्राह्मण नहीं माना जा सकता, क्योंकि ब्राह्मण का अर्थ है वैष्णव और वैष्णव का अर्थ है ब्राह्मण। जो भगवान् का भक्त बन जाता है, वह भी ब्राह्मण है। सूत्र है ब्रह्म जानातीति ब्राह्मण:। ब्राह्मण वह है, जिसने ब्रह्म को समझ लिया है और वैष्णव वह है, जिसने भगवान् को समझ लिया है। ब्रह्म-साक्षात्कार तो भगवान् साक्षात्कार की शुरुआत है। जो भगवान् को समझता है, वह परम के निर्विशेष रूप को भी जानता है, जो कि ब्रह्म है। अत: जो व्यक्ति वैष्णव बनता है, वह पहले से ब्राह्मण होता है। यह ध्यान देना होगा कि भगवान् द्वारा इस अध्याय में वर्णित ब्राह्मण की महिमाएँ उनके भक्त-ब्राह्मण या वैष्णव की द्योतक हैं। इससे कभी यह भ्रान्ति नहीं होनी चाहिए कि इस सन्दर्भ में तथाकथित ब्राह्मण का जो कि ब्राह्मण परिवारों में उत्पन्न होते हैं, किन्तु जिनमें कोई भी ब्राह्मण गुण नहीं पाये जाते, उल्लेख हुआ है।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.