श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 17: हिरण्याक्ष की दिग्विजय  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.17.1 
मैत्रेय उवाच
निशम्यात्मभुवा गीतं कारणं शङ्कयोज्झिता: ।
तत: सर्वे न्यवर्तन्त त्रिदिवाय दिवौकस: ॥ १ ॥
 
शब्दार्थ
मैत्रेय:—मैत्रेय मुनि ने; उवाच—कहा; निशम्य—सुनकर; आत्म-भुवा—ब्रह्मा द्वारा; गीतम्—व्याख्या; कारणम्— कारण; शङ्कया—भय से; उज्झिता:—मुक्त; तत:—तब; सर्वे—सभी; न्यवर्तन्त—लौट गये; त्रि-दिवाय—स्वर्ग लोक को; दिव-ओकस:—देवतागण (जो स्वर्गलोक के वासी हैं) ।.
 
अनुवाद
 
 श्रीमैत्रेय ने कहा—विष्णु से उत्पन्न ब्रह्मा ने जब अन्धकार का कारण कह सुनाया, तो स्वर्गलोक के निवासी देवता समस्त भय से मुक्त हो गये। इस प्रकार वे सभी अपने- अपने लोकों को वापस चले गये।
 
तात्पर्य
 स्वर्गलोक के निवासी देवता भी ब्रह्माण्ड के अन्धकारग्रस्त होने जैसी घटनाओं से अत्यन्त भयभीत हो जाते हैं, अत: वे ब्रह्मा के पास परामर्श हेतु गये। इससे यह संकेत मिलता है कि इस भौतिक जगत में प्रत्येक जीवात्मा भय से ग्रस्त है। इस संसार में चार मुख्य कार्यकलाप हैं—आहार, निद्रा, भय तथा मैथुन। देवताओं में भी भय तत्व विद्यमान रहता है। प्रत्येक लोक में, यहाँ तक कि स्वर्गलोक में, जिसमें सूर्य तथा चन्द्र लोक सम्मिलित हैं और इस पृथ्वी लोक में भी पशु जीवन के जैसे ही सिद्धान्त पाये जाते हैं। अन्यथा देवता अन्धकार से इतने भयभीत क्यों होते? देवताओं तथा सामान्य जनों में यही अन्तर होता है कि देवता अधिकारी के पास जाते हैं जबकि इस पृथ्वी पर रहने वाले सामान्य जन अधिकारी का अनादर करते हैं। यदि लोग अधिकारी के पास पहुँच सकें, तो इस बह्माण्ड की प्रत्येक प्रतिकूल अवस्था सुधर जाये। अर्जुन भी कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में विचलित हुआ था, किन्तु वह अधिकारी अर्थात् श्रीकृष्ण के पास पहुँचा और उसकी समस्या हल हो गई। इस घटना से यही उपदेश मिलता है कि हो सकता है कि हम किसी भौतिक परिस्थिति से विचलित हों, किन्तु यदि हम ऐसे अधिकारी के पास पहुँच सकें जो समस्या की वास्तव में व्याख्या कर सके तो हमारी समस्या हल हो जाती है। देवता उत्पात का अर्थ जानने के लिए ब्रह्मा के पास गये और उनसे सुनने के बाद वे संतुष्ट होकर अपने-अपने धाम शान्तिपूर्वक वापस चले गये।
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥