बारम्बार साँय-साँय करती तथा विशाल वृक्षों को उखाड़ती हुई अत्यन्त दुस्सह स्पर्शी हवाएँ बहने लगीं। उस समय अंधड़ उनकी सेनाएँ और धूल के मेघ उनकी ध्वजाएँ लग रही थीं।
तात्पर्य
जब अंधड़ चले, अत्यधिक गर्मी या हिमपात हो और तूफानी हवाओं से वृक्ष उखड़ जाँय, तो यह समझना चाहिए कि आसुरी जनसंख्या बढ़ रही है, जिसके कारण ये प्राकृतिक उत्पात हो रहे हैं। आज भी इस विश्व में अनेक ऐसे देश हैं जहाँ ये सभी उत्पात हो रहे हैं। यह सारे संसार में सत्य है। वहाँ पर्याप्त धूप नहीं रहती, आकाश सदैव बादलों से घिरा रहता है, बर्फ गिरती है और कड़ाके की सर्दी पड़ती है। इनसे इसकी पुष्टि होती है कि ऐसे स्थानों में उन आसुरी लोगों का निवास है, जो सभी प्रकार के वर्जित पापमय कार्य करने के आदी हो गये हैं।
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