निस्सन्देह, मैंने रसातलवासियों की धरोहर चुरा ली है और सारी शर्म खो दी है। यद्यपि तुम्हारी शक्तिशाली गदा से मुझे कष्ट हो रहा है, किन्तु मैं जल में कुछ काल तक और रहूँगा क्योंकि तुम जैसे पराक्रमी शत्रु से शत्रुता ठान कर अन्यत्र जाने के लिए मेरे पास कोई ठौर भी नहीं है।
तात्पर्य
असुर को समझ लेना चाहिए था कि ईश्वर को किसी दूसरे स्थान में नहीं भगाया जा सकता था क्योंकि वह सर्वव्यापी है। असुर अपनी अधिकृत भूमि को अपनी सम्पत्ति मानते हैं, किन्तु वास्तव में प्रत्येक वस्तु पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् की है। वह जब चाहे कोई भी वस्तु ले सकता है।
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