आह—उसने कहा; च—तथा; आयुधम्—हथियार; आधत्स्व—ग्रहण करो; घटस्व—प्रयत्न करो; त्वम्—तुम; जिगीषसि—जीतने के लिए इच्छुक हो; इति—इस प्रकार; उक्त:—ललकारते हुए; स:—हिरण्याक्ष ने; तदा—उस समय; भूय:—पुन:; ताडयन्—प्रहार करते हुए; व्यनदत्—गर्जना की; भृशम्—जोर से ।.
अनुवाद
तब भगवान् ने कहा, “तुम अपना शस्त्र उठा लो और मुझे जीतने के इच्छुक हो तो पुन: प्रयत्न करो।” इन शब्दों से ललकारे जाने पर असुर ने अपनी गदा भगवान् पर तानी और पुन: जोर से गरजा।
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