जग्राह—उठाया; त्रि-शिखम्—तीन नोकों वाला; शूलम्—त्रिशूल; ज्वलत्—जलती हुई; ज्वलन—अग्नि; लोलुपम्—लपलपाता; यज्ञाय—समस्त यज्ञों के भोक्ता; धृत-रूपाय—वराह रूप में; विप्राय—ब्राह्मण को; अभिचरन्—दुष्टतावश प्रयोग करके; यथा—जिस प्रकार ।.
अनुवाद
अब उसने प्रज्जवलित अग्नि के समान लपलपाता त्रिशूल निकाला और समस्त यज्ञों के भोक्ता भगवान् पर फेंका, जिस प्रकार कोई व्यक्ति किसी पवित्र ब्राह्मण पर दुर्भावनावश अपनी तपस्या का प्रयोग करे।
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