तम्—हिरण्याक्ष को; मुष्टिभि:—अपने मुक्कों से; विनिघ्नन्तम्—प्रहार करते हुए; वज्र-सारै:—वज्र के समान कठोर; अधोक्षज:—भगवान् अधोक्षज ने; करेण—हाथ से; कर्ण-मूले—कनपटी पर; अहन्—मारा; यथा—जैसे; त्वाष्ट्रम्— वृत्रासुर (त्वष्टा का पुत्र) को; मरुत्-पति:—मरुतों के स्वामी इन्द्र ने ।.
अनुवाद
तब वह असुर भगवान् को कठोर मुक्कों से मारने लगा किन्तु भगवान् अधोक्षज ने उसकी कनपटी में उस तरह थप्पड़ मारा जिस प्रकार मरुतों के स्वामी इन्द्र ने वृत्रासुर को मारा था।
तात्पर्य
भगवान् को यहाँ अधोक्षज अर्थात् समस्त गणनाओं से परे कहा गया है। अक्षज का अर्थ है, “हमारी इन्द्रियों की माप” और अधोक्षज का अर्थ है, “जो हमारी इन्द्रियों की माप से परे है।”
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