सर्वजेता भगवान् ने यद्यपि अत्यन्त उपेक्षापूर्वक प्रहार किया था, किन्तु उससे असुर का शरीर चकराने लगा। उसकी आँखे बाहर निकल आईं। उसके हाथ तथा पैर टूट गये, सिर के बाल बिखर गये और वह अंधड़ से उखड़े हुए विशाल वृक्ष की भाँति मृत होकर गिर पड़ा।
तात्पर्य
भगवान् को किसी भी बलवान असुरों के (हिराण्याक्ष समेत) मारने में एक क्षण भी नहीं लगता। वे चाहते तो हिरण्याक्ष को बहुत पहले मार ड़ालते, किन्तु वे उस असुर को अपना पूरा मायाजाल दिखाने के लिए छोड़े रहे। मनुष्य को यह जान लेना चाहिए कि कोई इन्द्रजाल से, ज्ञान की वैज्ञानिक प्रगति से अथवा भौतिक शक्ति से भगवान् की समता नहीं कर सकता। उनके एक संकेत से हमारे सारे प्रयास निष्फल हो सकते हैं। उनकी शक्ति जो कि अनुमान के परे है जैसाकि यहाँ दिखाया गया है, इतनी प्रबल है कि समस्त आसुरी चालों के बावजूद भगवान् की इच्छा होते ही एक ही चाँटे से उस असुर की मृत्यु हो गई।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.