असुरों ने उसकी प्रशंसा की—अहा! कैसा रूप, कैसा अप्रतिम धैर्य, कैसा उभरता यौवन, हम कामपीडि़तों के बीच वह इस प्रकार विचर रही है मानो काम-भाव से सर्वथा रहित हो।
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