जगृहु:—अपना लिया; तत्-विसृष्टाम्—उसके द्वारा फेंका गया; ताम्—उस; जृम्भण-आख्याम्—जम्हाई लेता हुआ; तनुम्—शरीर को; प्रभो:—भगवान् ब्रह्मा का; निद्राम्—नींद; इन्द्रिय-विक्लेद:—लार चुआता; यया—जिससे; भूतेषु—जीवों के मध्य; दृश्यते—देखा जाता है; येन—जिससे; उच्छिष्टान्—मलमूत्र से सना; धर्षयन्ति—आक्रमण करते हैं; तम्—उसे; उन्मादम्—पागलपन; प्रचक्षते—कहा जाता है ।.
अनुवाद
जीवों के स्रष्टा ब्रह्मा द्वारा उस अँगड़ाई रूप में फेंके जाने वाले शरीर को भूत पिशाचों ने उस शरीर को अपना लिया। इसी को निद्रा भी कहते हैं जिसमें लार चू जाती है। जो लोग अशुद्ध रहते हैं उन पर ये भूत-प्रेत आक्रमण करते हैं और उनका यह आक्रमण उन्माद (पागलपन) कहलाता है।
तात्पर्य
अशुद्ध रहने पर उन्माद रोग या भूतों का आक्रमण होता है। यहाँ यह स्पष्ट उल्लेख है कि जब मनुष्य गहरी निद्रा में सो जाता है, तो उसके मुख से जो थूक बहता है उससे वह अशुद्ध (गन्दा) हो जाता है और इस अवसर का लाभ उठाकर भूत-प्रेत उस पर आक्रमण कर देते हैं। दूसरे शब्दों में, जो सोते समय लार चुवाते हैं, वे गन्दे माने जाते हैं और उन्हें या तो भूत सताते हैं या वे पागल हो जाते हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.