किम्पुरुषों तथा किन्नरों ने ब्रह्मा द्वारा त्यक्त उस छाया-शरीर को ग्रहण कर लिया इसीलिए वे अपनी पत्नियों सहित प्रत्येक प्रात:काल उनके कर्म का स्मरण कर करके उनकी प्रशंसा का गान करते हैं।
तात्पर्य
सूर्योदय के डेढ़ घंटे पहले प्रात:काल को ब्राह्म-मुहूर्त कहा जाता है। इस ब्राह्म- मुहूर्त में आध्यात्मिक कर्म किये जाते हैं। इस वेला (काल) में सम्पन्न क्रियाएँ दिन के अन्य भाग में सम्पन्न क्रियाओं से अधिक प्रभावात्मक होती हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.