श्रीमद् भागवतम
 
हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.21.10 
किरीटिनं कुण्डलिनं शङ्खचक्रगदाधरम् ।
श्वेतोत्पलक्रीडनकं मन:स्पर्शस्मितेक्षणम् ॥ १० ॥
 
शब्दार्थ
किरीटिनम्—मुकुट धारण किये हुए; कुण्डलिनम्—कुण्डल पहने हुए; शङ्ख—शंख; चक्र—चक्र; गदा—गदा; धरम्—धारण किये; श्वेत—उज्ज्वल; उत्पल—कुमुदिनी; क्रीडनकम्—खिलौना; मन:—हृदय; स्पर्श—स्पर्श; स्मित—हँसी; ईक्षणम्—तथा चितवन ।.
 
अनुवाद
 
 मुकुट तथा कुण्डलों से आभूषित श्रीभगवान् अपने तीन हाथों में अपने विशिष्ट शंख, चक्र तथा गदा और चौथे में श्वेत कुमुदिनी धारण किये हुए थे। उन्होंने प्रसन्न तथा हासयुक्त मुद्रा में समस्त भक्तों के चित्त को चुराने वाली चितवन से देखा।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
About Us | Terms & Conditions
Privacy Policy | Refund Policy
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥