स्वायम्भुव मनु के दो पुत्रों—प्रियव्रत तथा उत्तानपाद—ने धार्मिक नियमानुसार सप्त द्वीपों वाले इस संसार पर राज्य किया।
तात्पर्य
श्रीमद्भागवत ब्रह्माण्ड के विभिन्न भागों में शासन करने वाले महान् राजाओं का इतिहास भी है। इस श्लोक में स्वायंभुव के दो पुत्रों—प्रियव्रत तथा उत्तानपाद के नामों का उल्लेख है। उन्होंने इस पृथ्वी पर राज्य किया जो सात द्वीपों में विभक्त है। ये सातों द्वीप आज भी हैं—यथा एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमरीका, आस्ट्रेलिया तथा उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव।
यद्यपि श्रीमद्भागवत में समस्त भारतीय राजाओं का तिथिवार इतिहास नहीं है, लेकिन महत्त्वपूर्ण राजाओं के कार्यों का, जैसे प्रियव्रत तथा उत्तानपाद और कई अन्यों का यथा भगवान् रामचन्द्र तथा महाराज युधिष्ठिर का लेखा-जोखा मिलता है, क्योंकि ऐसे पवित्र राजाओं के कार्य-कलाप सुनने योग्य हैं और मनुष्य उनके इतिहासों को पढक़र लाभ उठा सकते हैं।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥