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श्लोक 3.21.26  |
स चेह विप्र राजर्षिर्महिष्या शतरूपया ।
आयास्यति दिदृक्षुस्त्वां परश्वो धर्मकोविद: ॥ २६ ॥ |
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शब्दार्थ |
स:—स्वायंभुव मनु; च—तथा; इह—यहाँ; विप्र—हे पवित्र ब्राह्मण; राज-ऋषि:—साधु राजा; महिष्या—अपनी रानी (महिषी) सहित; शतरूपया—शतरूपा नामक; आयास्यति—आएंगे; दिदृक्षु:—देखने की इच्छा से; त्वाम्—तुमको; परश्व:—परसों; धर्म—धार्मिक कृत्यों में; कोविद:—दक्ष ।. |
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अनुवाद |
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हे ब्राह्मण, धार्मिक कृत्यों में दक्ष सुप्रसिद्ध सम्राट अपनी पत्नी शतरूपा सहित तुम्हें देखने के लिए परसों यहाँ आएँगे। |
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