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श्लोक 3.21.35  |
अथ सम्प्रस्थिते शुक्ले कर्दमो भगवानृषि: ।
आस्ते स्म बिन्दुसरसि तं कालं प्रतिपालयन् ॥ ३५ ॥ |
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शब्दार्थ |
अथ—तब; सम्प्रस्थिते शुक्ले—भगवान् के चले जाने पर; कर्दम:—कर्दम मुनि ने; भगवान्—परम शक्तिमान; ऋषि:—ऋषि; आस्ते स्म—रहते रहे; बिन्दु-सरसि—बिन्दु सरोवर के तट पर; तम्—उस; कालम्—समय; प्रतिपालयन्—प्रतीक्षा करते हुए ।. |
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अनुवाद |
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तब भगवान् के चले जाने पर पूज्य साधु कर्दम भगवान् द्वारा बताये उस समय की प्रतीक्षा करते हुए बिन्दु सरोवर के तट पर ही ठहरे रहे। |
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