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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  3.21.35 
अथ सम्प्रस्थिते शुक्ले कर्दमो भगवानृषि: ।
आस्ते स्म बिन्दुसरसि तं कालं प्रतिपालयन् ॥ ३५ ॥
 
शब्दार्थ
अथ—तब; सम्प्रस्थिते शुक्ले—भगवान् के चले जाने पर; कर्दम:—कर्दम मुनि ने; भगवान्—परम शक्तिमान; ऋषि:—ऋषि; आस्ते स्म—रहते रहे; बिन्दु-सरसि—बिन्दु सरोवर के तट पर; तम्—उस; कालम्—समय; प्रतिपालयन्—प्रतीक्षा करते हुए ।.
 
अनुवाद
 
 तब भगवान् के चले जाने पर पूज्य साधु कर्दम भगवान् द्वारा बताये उस समय की प्रतीक्षा करते हुए बिन्दु सरोवर के तट पर ही ठहरे रहे।
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥