सरोवर के तट पवित्र वृक्षों तथा लताओं के समूहों से घिरे थे, जो सभी ऋतुओं में फलों तथा फूलों से लदे रहते थे और जिनमें पवित्र पशु तथा पक्षी अपना-अपना बसेरा बनाते थे और विविध प्रकार से कूजन करते थे। यह स्थान वृक्षों के कुंजों की शोभा से विभूषित था।
तात्पर्य
यह बताया गया है कि बिन्दु सरोवर पवित्र वृक्षों तथा पक्षियों से घिरा रहता था। जिस प्रकार मानव समाज में कुछ पुण्यात्मा तथा कुछ पापी लोग होते हैं उसी प्रकार वृक्षों तथा पक्षियों में भी कुछ पवित्र थे और कुछ अपवित्र। जिन वृक्षों में अच्छे फल या फूल नहीं लगते वे अपवित्र माने जाते हैं और जो पक्षी शैतान
होते हैं, जैसे कौवे, वे अपवित्र माने जाते हैं। बिन्दु सरोवर के चारों ओर की भूमि में एक भी अपवित्र पक्षी या वृक्ष नहीं था। प्रत्येक वृक्ष फलित तथा पुष्पित था और प्रत्येक पक्षी प्रभु के गुणों का हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे; हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे का गान करने वाला था।
____________________________
All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥