मत्त—प्रसन्नता से मतवाले; द्विज—पक्षियों के; गणै:—समूहों से; घुष्टम्—प्रतिध्वनित; मत्त—मतवाले; भ्रमर—भौरों का; विभ्रमम्—मँडराते हुए; मत्त—मतवाले; बर्हि—मोरों का; नट—नर्तकों का; आटोपम्—गर्व; आह्वयत्—एक दूसरे को बुलाते हुए; मत्त—प्रसन्न; कोकिलम्—कोयलें ।.
अनुवाद
यह प्रदेश मतवाले पक्षियों के स्वर से प्रतिध्वनित था। मतवाले भौंरे मँडरा रहे थे, प्रमत्त मोर गर्व से नाच रहे थे और प्रमुदित कोयलें एक दूसरे को पुकार रही थीं।
तात्पर्य
यहाँ पर बिन्दु-सरोवर के चारों ओर के क्षेत्र में सुनाई पडऩे वाली मधुर ध्वनियों की सुन्दरता का वर्णन है। मधु पीकर काले भौंरे मतवाले हो रहे थे और मादकता में गुनगुना रहे थे। प्रमुदित मोर नटों तथा नटियों की तरह नाच रहे थे और प्रमुदित कोयलें अपने जोड़ीदारों को पुकार रही थीं।
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