राजा को अपने आश्रम में आकर प्रणाम करते देखकर उस मुनि ने आशीर्वाद देकर सत्कार किया और यथोचित सम्मान सहित उसका स्वागत किया।
तात्पर्य
सम्राट स्वायंभुव मनु न केवल कर्दम मुनि की पर्णशाला के निकट गये वरन् उन्होंने उन्हें सादर नमस्कार भी किया। इसी प्रकार मुनि का भी धर्म होता था कि वह जंगल में जाकर आश्रम के पास पहुँचने वाले राजाओं को आशीर्वाद दे।
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