जब भी आवश्यक होता है, आप सूर्य, चन्द्र, अग्नि, इन्द्र, वायु, यम, धर्म, वरुण का अंश धारण करते हैं। आप भगवान् विष्णु के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं हैं, अत: आपको सभी प्रकार से नमस्कार है।
तात्पर्य
चूँकि कर्दम मुनि ब्राह्मण थे और स्वायंभुव क्षत्रिय थे, अत: सामाजिक रूप से मुनि के द्वारा राजा को नमस्कार नहीं किया जाना था, क्योंकि उसका स्थान राजा से ऊँचा था। किन्तु मुनि ने स्वायंभुव मनु को नमस्कार किया, क्योंकि राजा तथा सम्राट के रूप में मनु भगवान् के प्रतिनिधि थे। परम प्रभु भगवान् सदैव सबों के पूज्य हैं चाहे कोई ब्राह्मण हो, क्षत्रिय या शूद्र। भगवान् के प्रतिनिधि रूप में राजा हर एक से सादर नमस्कार किये जाने का पात्र था।
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