स तं विरजमर्काभं सितपद्मोत्पलस्रजम् ।
स्निग्धनीलालकव्रातवक्त्राब्जं विरजोऽम्बरम् ॥ ९ ॥
शब्दार्थ
स:—वह कर्दम मुनि; तम्—उसको; विरजम्—कल्मषहीन; अर्क-आभम्—सूर्य का सा तेज; सित—श्वेत; पद्म— कमल; उत्पल—कुमुदिनी की; स्रजम्—माला; स्निग्ध—चिकना; नील—श्याममिश्रित नीला; अलक—बालों के समूह की; व्रात—अधिकता; वक्त्र—मुख; अब्जम्—कमल-सदृश; विरज:—निर्मल; अम्बरम्—वस्त्र ।.
अनुवाद
कर्दम मुनि ने भौतिक कल्मष से रहित, सूर्य के समान तेजमय, श्वेत कमलों तथा कुमुदिनियों की माला पहने श्रीभगवान् के नित्य रूप का दर्शन किया। भगवान् ने निर्मल पीला रेशमी वस्त्र धारण कर रखा था और उनका मुख-कमल घुँघराले नीले चिकने बालों के गुच्छों से सुशोभित था।
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