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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 22: कर्दममुनि तथा देवहूति का परिणय  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  3.22.1 
मैत्रेय उवाच
एवमाविष्कृताशेषगुणकर्मोदयो मुनिम् ।
सव्रीड इव तं सम्राडुपारतमुवाच ह ॥ १ ॥
 
शब्दार्थ
मैत्रेय:—महान् साधु मैत्रेय ने; उवाच—कहा; एवम्—इस प्रकार; आविष्कृत—वर्णन कर लेने के पश्चात्; अशेष— समस्त; गुण—विशेषताओं की; कर्म—कार्यों की; उदय:—महानता; मुनिम्—महर्षि; स-व्रीड:—संकोचवश; इव— मानो; तम्—वह (कर्दम); सम्राट्—राजा मनु; उपारतम्—मौन; उवाच ह—बोला ।.
 
अनुवाद
 
 श्रीमैत्रेय ने कहा—सम्राट के अनेक गुणों तथा तथा कार्यों की महानता का वर्णन करने के पश्चात् मुनि शान्त हो गये और राजा ने संकोचवश उन्हें इस प्रकार से सम्बोधित किया।
 
 
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