जब से इसने नारद मुनि से आपके उत्तम चरित्र, विद्या, रूप, वय (आयु) तथा अन्य गुणों के विषय में सुना है तब से यह अपना मन आपमें स्थिर कर चुकी है।
तात्पर्य
देवहूति ने न तो स्वत: कर्दम मुनि को देखा था और न उसे उनके शील या गुण के विषय में कोई व्यक्तिगत अनुभव था, क्योंकि ऐसा कोई सामाजिक समागम न था जिससे उसे ऐसी जानकारी प्राप्त हो सकती। किन्तु उसने नारद मुनि से कर्दम मुनि के सम्बन्ध में सुन रखा था। किसी अधिकारी से सुनना व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त करने से कहीं श्रेष्ठ है। उसने नारद मुनि से सुना था कि कर्दम मुनि उसके पति होने के योग्य हैं। अत: उसने अपने मन में निश्चय कर लिया था कि वह उन्हीं से ब्याह करेगी। उसने अपने पिता से अपना मन्तव्य प्रकट किया जिन्होंने उसे लाकर यहाँ उपस्थित किया।
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