मैंने सुना है कि आपकी कन्या को महल की छत पर गेंद खेलते हुए देखकर महान् गन्धर्व विश्वावसु मोहवश अपने विमान से गिर पड़ा, क्योंकि वह अपने नूपुरों की ध्वनि तथा चञ्चल नेत्रों के कारण अत्यन्त सुन्दरी लग रही थी।
तात्पर्य
ऐसा लगता है कि आजकल की तरह उस समय भी गगनचुम्बी भवन होते थे। यहाँ पर हर्म्य-पृष्ठे शब्द आया है। हर्म्य का अर्थ है, “अत्यन्त विशाल महल।” स्वाद् विमानात् का अर्थ है, “अपने विमान से।” इससे लगता है कि उन दिनों में भी व्यक्तिगत विमान या हेलीकाप्टर होते थे। आकाश में उड़ते हुए गंधर्व विश्वावसु ने देवहूति को अपने महल की छत पर गेंद खेलते देखा। उस काल में गेंद खेलना भी प्रचलित था, किन्तु राजपरिवारों की लड़कियाँ सार्वजनिक स्थान में नहीं खेलती थीं। गेंद खेलना तथा अन्य आमोद-प्रमोद सामान्य स्त्रियों तथा लड़कियों के लिए नहीं थे, ऐसे खेल केवल देवहूति जैसी राजकुमारियाँ ही खेल सकती थीं। यहाँ यह बताया गया है कि उड़ते विमान से उसे देखा गया। इससे सूचित होता है कि वह महल बहुत ऊँचा था, अन्यथा वह विमान से कैसे देखी जा सकती थी? यह दृश्य इतना स्पष्ट था कि गंधर्व विश्वावसु उसकी सुन्दरता को देखकर तथा उसके नूपुरों की ध्वनि सुनकर सुन्दरता एवं ध्वनि से इतना आकर्षित हुआ कि मोहग्रस्त होकर गिर पड़ा। कर्दम मुनि ने इस घटना को जिस रूप में सुन रखा था, उसका वर्णन कर दिया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.