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श्लोक 3.23.29  |
भूषणानि परार्ध्यानि वरीयांसि द्युमन्ति च ।
अन्नं सर्वगुणोपेतं पानं चैवामृतासवम् ॥ २९ ॥ |
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शब्दार्थ |
भूषणानि—आभूषण; पर-अर्ध्यानि—अत्यन्त मूल्यवान; वरीयांसि—श्रेष्ठ; द्युमन्ति—चमकीले; च—तथा; अन्नम्— भोजन; सर्व-गुण—समस्त सद्गुण; उपेतम्—से युक्त; पानम्—पेय पदार्थ; च—तथा; एव—भी; अमृत—मधुर; आसवम्—मादक ।. |
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अनुवाद |
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तब उन्होंने उसे उत्तम तथा बहुमूल्य आभूषणों से सजाया जो चमचमा रहे थे। फिर उन्होंने सर्वगुण सम्पन्न भोजन तथा मधुर मादक पेय पदार्थ आसवम् प्रदान किया। |
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तात्पर्य |
आसव एक आयुर्वेदिक भेषज है, यह मद्य नहीं है। यह विशेष प्रकार की औषधियों से तैयार किया जाता है और स्वस्थ रहने, पाचन आदि सुधारने के लिए होता है। |
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