सुदता—सुन्दर दाँतों वाली; सु-भ्रुवा—मनोहर भौहों वाली; श्लक्ष्ण—सुन्दर; स्निग्ध—गीली; अपाङ्गेन—तिरछी चितवन से; चक्षुषा—आँखों से; पद्म-कोश—कमल की कलियाँ; स्पृधा—परास्त करने वाली; नीलै:—नीली-नीली; अलकै:—घुँघराले बाल से; च—तथा; लसत्—चमकती हुई; मुखम्—मुख ।.
अनुवाद
उसका मुखमण्डल सुन्दर दाँतों तथा मनोहर भौहों से चमक रहा था। उसके नेत्र सुन्दर स्निग्ध कोरों से स्पष्ट दिखाई पडऩे के कारण कमल कली की शोभा को मात करते थे। उसका मुख काले घुँघराले बालों से घिरा हुआ था।
तात्पर्य
वैदिक संस्कृति के अनुसार श्वेत दाँतों को अत्यधिक पसन्द किया जाता है। देवहूति के श्वेत दाँतों से उसके मुख की सुन्दरता बढ़ गई और वह कमल पुष्प के समान दिखने लगा। जब मुख अत्यन्त आकर्षक लगता है, तो नेत्रों की तुलना कमलदलों से और मुख की उपमा कमल पुष्प से दी जाती है।
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