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श्लोक 3.23.46  |
एवं योगानुभावेन दम्पत्यो रममाणयो: ।
शतं व्यतीयु: शरद: कामलालसयोर्मनाक् ॥ ४६ ॥ |
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शब्दार्थ |
एवम्—इस प्रकार; योग-अनुभावेन—योगशक्ति से; दम्-पत्यो:—पति-पत्नी; रममाणयो:—स्वयं आनन्द भोगते हुए; शतम्—एक सौ; व्यतीयु:—बीते; शरद:—शरद ऋतुएँ; काम—रतिसुख; लालसयो:—जो लालायित थे; मनाक्— अल्प समय के समान ।. |
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अनुवाद |
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रति सुख के उत्कट इच्छुक पति-पत्नी योग शक्तियों के बल पर विहार करते रहे और एक सौ वर्ष अल्प काल के समान व्यतीत हो गये। |
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