कर्दम मुनि ने कहा—ओह! इस ब्रह्माण्ड के देवता लम्बी अवधि के बाद कष्ट में पड़ी हुई उन आत्माओं पर प्रसन्न हुए हैं, जो अपने कुकृत्यों के कारण भौतिक बन्धन में पड़े हुए हैं।
तात्पर्य
यह भौतिक जगत दुख का स्थान है, जो बद्धजीवों द्वारा स्वयं किये गये कुकर्मों के कारण है। ये दुख उन पर बाहर से नहीं लादे जाते, अपितु बद्धजीव अपने कर्मों से अपने दुखों को उत्पन्न करते हैं। जंगल में आग स्वत: लगती है। ऐसा नहीं है कि कोई वहाँ जाता है और आग लगाता है—वृक्षों की रगड़ से आग स्वत: उत्पन्न होती है। जब इस संसार रूपी जंगल की अग्नि से अत्यधिक ताप उत्पन्न होता है, तो ब्रह्मा समेत सभी देवता इससे त्रस्त होकर परमेश्वर अर्थात् पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् के पास जाते हैं और इस स्थिति से उबारने के लिए प्रार्थना करते हैं। तब श्रीभगवान् अवतरित होते हैं। दूसरे शब्दों में, कहा जा सकता है कि जब देवतागण बद्धजीवों के कष्टों को देखकर दुखी होते हैं, तो इनसे उद्धार पाने के लिए वे श्रीभगवान् के पास पहुँचते हैं और श्रीभगवान् का अवतार होता है। और जब श्रीभगवान् अवतरित होते हैं, तो सभी देवता प्रसन्न होते हैं। अत: कर्दम मुनि ने कहा, “अनेक वर्षों तक मानवीय कष्टों के सहने के बाद अब सभी देवता प्रसन्न हुए हैं, क्योंकि श्रीभगवान् के अवतार कपिलदेव प्रकट हुए हैं।”
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.