पृथ्वी पर उनके अवतरित होते समय, आकाश में देवताओं ने वाद्ययंत्रों के रूप में जल बरसाने वाले मेघों से वाद्यसंगीत की सी ध्वनियाँ बजायी। स्वर्गिक गवैये गंधर्वगण भगवान् की महिमा का गान करने लगे और अप्सराओं के नाम से प्रसिद्ध स्वर्गिक नर्तकियाँ आनन्द विभोर होकर नाचने लगीं।
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