इन्द्रियाणि दश श्रोत्रं त्वग्दृग्रसननासिका: ।
वाक्करौ चरणौ मेढ्रं पायुर्दशम उच्यते ॥ १३ ॥
शब्दार्थ
इन्द्रियाणि—इन्द्रियाँ; दश—दस; श्रोत्रम्—श्रवणेन्द्रिय; त्वक्—स्पर्शेन्द्रिय; दृक्—दृष्टि की इन्द्रिय; रसन—स्वाद की इन्द्रिय; नासिका:—गन्ध की इन्द्रिय; वाक्—वाणी की इन्द्रिय; करौ—दो हाथ; चरणौ—चलने की इन्द्रियाँ (पाँव); मेढ्रम्—जननेन्द्रिय; पायु:—मलत्याग की इन्द्रिय; दशम:—दसवीं; उच्यते—कहलाती है ।.
अनुवाद
ज्ञानेन्द्रियों तथा कर्मेन्द्रियों को मिलाकर इनकी संख्या दस है। ये हैं—श्रवणेन्द्रिय, स्वादेन्द्रिय, स्पर्शेन्द्रिय दृश्येन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, वागेन्द्रिय, कार्य करने की इन्द्रियाँ, चलने की इन्द्रियाँ, जननेन्द्रियाँ तथा मलत्याग इन्द्रियाँ।
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