तेज:-गुण-विशेष:—अग्नि का विशेष गुण (रूप); अर्थ:—विषय; यस्य—जिसका; तत्—वह; चक्षु:—आँख, नेत्रेन्द्रिय; उच्यते—कहलाती है; अम्भ:-गुण-विशेष:—जल का विशेष गुण (स्वाद); अर्थ:—विषय; यस्य— जिसका; तत्—वह; रसनम्—स्वाद की इन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, रसना; विदु:—जानी जाती है; भूमे: गुण-विशेष:—भूमि का विशेष गुण (गंध); अर्थ:—विषय; यस्य—जिसका; स:—वह; घ्राण:—घ्राणेन्द्रिय; उच्यते—कहलाती है ।.
अनुवाद
वह इन्द्रिय जिसका विषय अग्नि का विशेष गुण रूप है, वह नेत्रेन्द्रिय है। जिस इन्द्रिय का विषय जल का विशेष स्वाद है, वह रसनेन्द्रिय कहलाती है। जिस इन्द्रिय का विषय पृथ्वी का विशिष्ट गुण गंध है, वह घ्राणेन्द्रिय कही जाती है।
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