सर्वप्रथम उनके मुख प्रकट हुआ और फिर वागेन्द्रिय और इसी के साथ अग्नि देव प्रकट हुए जो इस इन्द्रिय के अधिष्ठाता देव हैं। तब दो नथुने प्रकट हुए और उनमें घ्राणेन्द्रिय तथा प्राण प्रकट हुए।
तात्पर्य
वाणी के प्रकट होते ही अग्नि भी प्रकट हुई और दोनों नथुनों के प्रकट होते ही प्राणवायु, श्वसन क्रिया तथा घ्राणेन्द्रिय प्रकट हुए।
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