तब भगवान् के विराट रूप, विराट पुरुष ने अपनी त्वचा प्रकट की और उस पर बाल (रोम), मूँछ तथा दाढ़ी निकल आये। तत्पश्चात् सारी जड़ी-बूटियाँ प्रकट हुईं और तब जननेन्द्रियाँ भी प्रकट हुई।
तात्पर्य
त्वचा स्पर्श अनुभूति का स्थान है। जो देवता जड़ी-बूटियों के उत्पादन का नियन्त्रण करते हैं, वे त्वगेन्द्रिय के अधिष्ठाता हैं।
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