विष्णु:—भगवान् विष्णु; गत्या—गति से; एव—निस्सन्देह; चरणौ—दो पाँव; न—नहीं; उदतिष्ठत्—उठा; तदा—तब भी; विराट्—विराट-पुरुष; नाडी:—नाडिय़ाँ; नद्य:—नदियाँ नदी के देवता; लोहितेन—रक्त के द्वारा, संचरण की शक्ति से; न—नहीं; उदतिष्ठत्—हिला डुला; तदा—तो भी; विराट्—विराट-पुरुष ।.
अनुवाद
भगवान् विष्णु ने गति की क्षमता के साथ उनके पाँवों में प्रवेश किया, किन्तु तब भी विराट-पुरुष ने खड़े होने से इनकार कर दिया। तब नदियों ने रक्त-नाडिय़ों तथा संचरण शक्ति के माध्यम से रक्त में प्रवेश किया, किन्तु तो भी विराट-पुरुष हिला डुला नहीं।
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